सोनभद्र। जनपद में प्राइवेट अस्पतालों की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की ढिलाई ने एक और मासूम की जान ले ली। रॉबर्ट्सगंज स्थित दि अपोलो हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक 22 दिन के नवजात शिशु की दर्दनाक मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल के संचालक डॉक्टर सौरभ सिंह और स्टाफ पर गलत इलाज का गंभीर आरोप लगाया है।जानकारी के अनुसार, मृतक नवजात जुगैल थाना क्षेत्र के नेवारी भरहरी गांव निवासी सुनील का पुत्र था। परिजनों ने बताया कि नवजात शिशु की तबीयत अचानक बिगड़ने पर 31 अक्टूबर की रात उसे राजकीय बाल चिकित्सालय, लोढ़ी ले जाया गया, लेकिन वहां बेड खाली न होने का हवाला देते हुए भर्ती करने से मना कर दिया गया। थके-हारे परिजन अंततः उसे रॉबर्ट्सगंज के दि अपोलो हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, जहाँ उसकी हालत और बिगड़ती चली गई। परिजनों का कहना है कि अस्पताल में न तो अनुभवी डॉक्टर मौजूद थे और न ही किसी ने सही इलाज की कोशिश की। कुछ ही घंटों में युवक ने दम तोड़ दिया। इलाज में लापरवाही के साथ अत्यधिक पैसे वसूलने का भी आरोप परिवार ने लगाया।घटना की सूचना मिलते ही परिजन आक्रोशित हो उठे और अस्पताल परिसर में हंगामा करने लगे।
मौके पर पहुँची रॉबर्ट्सगंज कोतवाली पुलिस ने स्थिति को किसी तरह शांत कराया। इस बीच मृतक के बड़े पापा सुनील ने नोडल अधिकारी डॉ. गुलाब यादव को फोन कर मौके पर पहुँचने की गुज़ारिश की, लेकिन उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना अंदाज़ में कहा “मामला मेरी जानकारी में है, पर मैं नहीं आ सकता।” स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि सीएमओ कार्यालय की शह पर जिले में चल रहे तमाम प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम्स से मासिक उगाही की जाती है। इसी वजह से बिना पंजीकरण और अयोग्य चिकित्सकों वाले अस्पताल खुलेआम चल रहे हैं और मौतों का कारोबार जारी है। जनपद सोनभद्र में ऐसी घटनाएँ अब आम होती जा रही हैं। जहाँ पैसे की भूख ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग आखिर कब जागेगा और कब तक गरीबों की जान इन नीम हकीमों की भेंट चढ़ती रहेगी?
Author: Pramod Gupta
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