सोनभद्र। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और सहयोगी जन-संगठनों के लंबे संघर्ष और लगातार आंदोलनों का परिणाम है कि आदिवासी बाहुल्य जनपद में छात्रों के लिए कैमूर आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह जानकारी भाकपा उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी सदस्य एवं सोनभद्र जिला सचिव कामरेड आर.के. शर्मा ने गुरुवार को पीडब्ल्यूडी डाक बंगला में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी। उन्होंने बताया कि भाकपा और सहयोगी संगठनों की ओर से पिछले कई वर्षों से विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग उठाई जा रही थी। इस मांग पर राज्यपाल ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा विभाग (उ.प्र.) को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया है। कामरेड आर.के. शर्मा ने कहा की बिन हवा न पत्ता हिलता है, बिन लड़ें न हिस्सा मिलता है।उन्होंने बताया कि यह मांग पहली बार 1999 में अखिल भारतीय नौजवान सभा द्वारा विधानसभा मार्च के दौरान प्रमुखता से उठाई गई थी। इसके बाद खेत मजदूर यूनियन और अन्य जन-संगठनों ने भी लगातार धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन और जनआंदोलन के माध्यम से इस मांग को जीवित रखा।आर.के. शर्मा ने कहा कि जैसे पर्वतीय और आदिवासी क्षेत्र के गरीब, मध्यमवर्गीय एवं श्रमिक परिवार अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बड़े शहरों या अन्य राज्यों में भेजने में असमर्थ रहते हैं। ऐसे में कैमूर आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना यहां के युवाओं के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में 12 अगस्त को भाकपा द्वारा प्रदेशव्यापी आंदोलन चलाया गया, जिसमें विश्वविद्यालय की स्थापना और स्कूल मर्जर का विरोध प्रमुख मुद्दा रहा। इसके बाद राज्य सचिव द्वारा महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया, जिसके फलस्वरूप यह सकारात्मक पहल हुई। आर.के. शर्मा ने कहा कि कैमूर आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना की धरती पर नहीं हो जाती, तब तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उसके सहयोगी जन-संगठन आम जनता के साथ मिलकर संघर्ष जारी रखेंगे। इस दौरान उपस्थित रहे देव कुमार विश्वकर्मा, चंदन प्रसाद, अमरनाथ सूर्य, राम जनम कुशवाहा, नागेन्द्र कुमार, सूरज वंशल सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
Author: Pramod Gupta
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