– गाजियाबाद में एक बेकाबू कार आई और महिलाओं को रौंद डाला. 3 महिलाओं की मौके पर मौत हो गई है
गाज़ियाबाद (समर सैम) गाज़ियाबाद में मॉर्निंग वॉक पर निकली चार महिलाओं को एक बेकाबू कार ने रौंद डाला, जिसमें तीन महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई और चौथी गंभीर रूप से घायल है। यह दर्दनाक घटना न सिर्फ़ ट्रैफिक व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि यह सोचने पर मजबूर करती है कि आख़िर हमारे शहरों में सड़कें कब सुरक्षित होंगी। हर दिन देश के किसी न किसी कोने से सड़क हादसे की खबर आती है, मगर सुधार की कोशिशें नदारद हैं। नशे में ड्राइविंग, तेज़ रफ्तार, मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी अब आम हो चली है। अफ़सोस की बात यह है कि न तो चालकों में डर बचा है और न ही प्रशासन में सख़्ती दिखाई देती है। ग़लती चाहे वाहन चालक की हो या व्यवस्था की, कीमत आम लोग अपनी जान देकर चुका रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस का नियंत्रण केवल मुख्य सड़कों तक सीमित है, जबकि रिहायशी इलाकों में सुरक्षा का नामोनिशान नहीं। सड़कें अब गति और ग़फ़लत का खेल बन चुकी हैं। यह हादसा चेतावनी है- सरकार के लिए भी और समाज के लिए भी। सड़क सुरक्षा नियमों को सिर्फ़ कागज़ों पर नहीं, व्यवहार में उतारना होगा। हर नागरिक को ट्रैफिक अनुशासन अपनाने की ज़रूरत है, वरना हर सुबह किसी की आख़िरी सुबह साबित होती रहेगी। अब समय है कि हम सब मिलकर यह प्रण लें कि “सड़कें जीवन देने का माध्यम बनें, उसे छीनने का नहीं।”
Author: Pramod Gupta
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