सोनभद्र:(दुद्धी) श्री रामलीला कमेटी के तत्वाधान में तहसील परिसर के श्री रामलीला मंच पर श्री रामलीला नाट्यकला परिषद् के कलाकारों द्वारा लीला के मंचन के ग्यारहवें दिन रविवार की शाम शूर्पणखा की लीला सीता हरण एवं सीता की खोज में निकले प्रभु राम के लीला का मंचन किया गया।शूर्पणखा लीला मंचन के दौरान शूर्पणखा का पंचवटी स्थित श्री राम की कुटिया के पास जाकर प्रभु को देख निहारना और मोहित होकर शादी के प्रस्ताव रखा,तब श्री राम एवं लक्ष्मण के द्वारा इनकार करने पर विकराल रूप में प्रकट होता देख
लक्ष्मण के द्वारा शूर्पणखा का नाक एवं कान तलवार से काट दिया। इस दौरान रोती बिलखती चीखती अपने भाई खर और दूषण के पास जाकर अपमानित होने का वृतांत बताने पर दोनों भाइयों का वध होने की जानकारी लेकर रावण के दरबार में पहुंची और सारा वृतांत बताने के पश्चात रावण द्वारा बदले की भावना से सीता हरण करने का निर्णय कर मामा मारीच के पास गए।लीला के अगले क्रम में कपटी मृग बनने को कहना और पंचवटी पहुंचकर सीता हरण करना इस लीला के दौरान स्वर्ण मृग को देख सीता का मोहित होना प्रभु से उसकी खाल लाने को कहना।प्रभु का मृग के खाल लाने को जाना इसी दौरान मृग का वध करना और मृग द्वारा लक्ष्मण– लक्ष्मण पुकारने की आवाज सुन माता सीता के कहने पर लक्ष्मण को श्री राम के पीछे भेज दी। सुनी कुटिया देख अभिमानी रावण साधु की वेश में आकर सीता का हरण कर लिया।मंचन के अगले क्रम में सीता खोज लीला का मंचन किया गया मंचन के दौरान सबरी के आश्रम पर प्रभु श्री राम पहुंचे तो उन्होंने उसके हाथों से जूठे बैर को खाकर माता के सबरी के मातृत्व का मान रखा तब सबरी ने माता सीता की खोज में सहयोग के लिए ऋषिमुख पर्वत पर जाकर सुग्रीव से मिलने की सलाह दिया तत्पश्चात प्रभु प्रस्थान कर सुग्रीव से मिलते फिर दोनों के बीच मित्रता हो जाती है।लीला का आनंद सैकड़ों महिला पुरुष एवं बच्चों ने सादगी के साथ लिया।इस दौरान आयोजक समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल अग्रहरि,महामंत्री सुरेंद्र गुप्ता नाट्य कला के मैनेजर कमलेश सिंह कमल सहित आयोजक समिति के पदाधिकारी लीला के दौरान मौजूद रह कार्यक्रम को कराते रहे।सुरक्षा की दृष्टिकोण से कस्बा इंचार्ज जयशंकर राय मय फोर्स उपस्थित रहे।मंचन के दौरान ब्यास की भूमिका में विवेकानंद मिश्रा का ढोलक पर रवि राज गुप्ता साथ दे रहे है। वही स्थानीय कमेटी के दर्जनों अनुभवी कलाकारों के अभिनय को देख दर्शक भव विभोर हो रहे है। यहां की लीला विगत 185 वर्षों से अनवरत चल रही है।









