सोनभद्र (समर सैम) जिले में शिक्षा का हाल चिंताजनक है। पिछले कुछ सालों में बेसिक शिक्षा विभाग में एक दर्जन से अधिक फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है, कई को बर्खास्त कर मुकदमे भी दर्ज किए गए। लेकिन यह सिर्फ एक बर्फ की मोटी परत है, भीतर की सच्चाई इससे कहीं ज्यादा भयावह है। सूत्रों के अनुसार, बेसिक शिक्षा अधिकारी की सांठगांठ के चलते अब भी कई शिक्षक अपात्र तरीके से नौकरी कर रहे हैं। कुछ आश्रित कोटे के शिक्षक सच्चे पात्रों को छिपाकर सरकारी पदों पर बैठे हैं। कुछ मामलों में नियुक्ति पत्र और कागजात ही फर्जी पाए गए हैं। यानी बच्चों की पढ़ाई और भविष्य के साथ खेल हो रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी इसे ढाल बनाकर बचा रहे हैं। समय-समय पर लोग लिखित शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता ने इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। राबर्ट्सगंज के युवा भाजपा नेता और समाजसेवी विनय श्री वास्तव ने साफ कहा है कि फर्जी शिक्षकों की जांच कर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वह शासन से शिकायत कर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। यह संदेश निश्चित ही प्रशासन और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के लिए चेतावनी है। भाजपा सरकार में यह उम्मीद जताई जा रही है कि फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि कार्रवाई कब होगी? कितने लोग फर्जी शिक्षकों के पीछे हैं, और कब तक बच्चों का भविष्य खतरे में रहेगा? सुनिश्चित करना होगा कि फर्जी शिक्षक सलाखों के पीछे जाएँ, और जो अधिकारी सांठगांठ में शामिल हैं, उन्हें भी सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़े। साथ ही, भविष्य में ऐसे फर्जी नियुक्तियों को रोकने के लिए पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए। सोनभद्र के नागरिकों और समाजसेवी संगठनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस मामले में आवाज़ उठाते रहें। शिक्षा केवल सरकारी नौकरी नहीं, बल्कि बच्चों के उज्जवल भविष्य का आधार है। और यह भविष्य किसी भी कीमत पर फर्जीवाड़े की भेंट नहीं चढ़ सकता। आपकी राय क्या है? क्या ऐसे फर्जी शिक्षकों पर अब सख्त कार्रवाई होनी चाहिए?
Author: Pramod Gupta
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