नौगढ़ में उजागर हुआ खाद्य सुरक्षा योजना का व्यापारिक दोहन, जिलाधिकारी से की गई सख्त कार्रवाई की मांग
नौगढ़ (चंदौली)।
सरकार की ओर से गरीबों के लिए चलाई जा रही खाद्य सुरक्षा योजना अब कोटेदारों की कमाई का धंधा बन चुकी है। तहसील क्षेत्र नौगढ़ के कई गांवों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन कार्ड धारकों को जबरन ‘निरमा पाउडर’ और ‘नमक’ खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यदि उपभोक्ता इन उत्पादों को लेने से इनकार करते हैं, तो उन्हें उनका हक़ का राशन नहीं दिया जा रहा। यह चौंकाने वाला खुलासा ग्राम्या संस्थान की परियोजना समन्वयक नीतू सिंह द्वारा मझगाई, गोलाबाद, बोदलपुर, देवखत व अमदहां गांवों में किए गए निरीक्षण में सामने आया।
*कोटेदारों का कहना है कि*
फिलहाल सिर्फ दो ही सामान (निरमा और नमक) आए हैं। बाकी 30 आइटम आने बाकी हैं। यह सामान सरकार की तरफ से नहीं, बल्कि एक निजी कंपनी द्वारा भेजा गया है, जिसे हम लोगों को बेचना है।
ग्रामीणों का कहना है कि
हम जब राशन लेने जाते हैं तो कोटेदार साफ कह देता है – पहले निरमा और नमक लो, तभी राशन मिलेगा। नहीं तो खाली हाथ लौट जाओ।
मजबूरी में झुकती है गरीब जनता – ‘मरता क्या न करता’
जहां खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उद्देश्य गरीबों को सस्ती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है, वहीं नौगढ़ में यह योजना व्यापार का रूप ले चुकी है। गरीबों के सामने सवाल यह खड़ा हो गया है कि वे पेट भरें या कंपनियों का माल खरीदें?
इस तरह की जबरदस्ती से न केवल जनता की गरिमा को ठेस पहुंच रही है, बल्कि सरकारी योजनाओं की साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
*प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल, कार्रवाई की उठी मांग*
इस गंभीर मामले में जिला प्रशासन और खाद्य एवं रसद विभाग की निष्क्रियता भी चर्चा का विषय बनी हुई है। ग्रामीणों, समाजसेवियों और संस्थानों ने जिलाधिकारी चंदौली से मांग की है कि:
मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, दोषी कोटेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो
,निजी कंपनियों के उत्पादों को PDS से पूरी तरह अलग किया जाए जन सुनवाई अभियान चलाकर पीड़ितों की शिकायतें दर्ज की जाएं।
एक तरफ़ गरीबों को दो वक़्त की रोटी मयस्सर नहीं, दूसरी तरफ़ राशन के बदले धकेला जा रहा बाज़ार का बोझ…
क्या इस पर कोई जवाबदेही तय होगी, या गरीबों की मजबूरी यूं ही बिकती रहेगी
