बीजपुर((विनोद गुप्त) जरहा वन रेंज में विभागीय साठ गाँठ से जंगल की जमीन पर कब्जा अभियान की होड़ लगी है अगर जंगल के जमीन की लूटखसोट का यही हाल रहा तो आगामी कुछ वर्षों में जरहा वन रेंज क्षेत्र में न जंगल बचेगा और नहीं जंगल की जमीन बचेगी।वर्तमान समय मे जरहा–नेमना बार्डर क्षेत्र में 977 नम्बर जंगल खाते की जमीन पर कब्जा कर एक विश्वकर्मा परिवार ने पक्का मकान बना कर ढाई बीघा जमीन में जोतकोड करने लगा है।हालांकि इसकी शिकायत भी शिकायत कर्ता नन्दलाल विश्वकर्मा ने डीएफओ रेणुकोट से किया लेकिन शिकायत पत्र फोटो वीडियो सब सेटिंग गेटिंग की भेंट चढ़ गयी।वहीं दूसरी जानकारी में जरहा गाँव के टोला इमिलीडॉड में तीन बीघा जमीन पर एक गुर्जर परिवार ने कब्जा कर जोतकोड शुरू कर दिया है जब कि उसके पास पहले से निजी काश्त खाते की जमीन महज एक बीघा से कम ही बताई जाती है और वर्तमान समय मे वह जंगल खाते सहित कुल लगभग छः
बीघा जमीन का मालिक हो गया है।इसी प्रकार पिंडारी के सेवकामोड के पास 4 बीघा जमीन एक यादव परिवार ने कब्जा कर बाकायदा मकान बना कर कुछ किराए पर शराब दुकान संचालन के लिए दे दिया है तो कुछ में खुद निवास में उपयोग कर रहा हैं।वहीं पर देशी शराब की दुकान भी वन क्षेत्र की कब्जा वाली जमीन में संचालित बताई जाती है।इस के अलावा यही पर लगभग एक एकड़ वन क्षेत्र की जमीन में भैस पालन का एक खटाल भी संचालित कराया जा रहा है।इसी तरह क्षेत्र के मोटकी पहाड़ी के पास भी कई हेक्टेयर वन भूमि ग्रामीणों ने कब्जा कर जोत कोड शुरू कर दिया है।सभी जगह खोदी गयी सुरक्षा खाई कब्जा धारकों के लिए महज सफेद हाथी बनी हुई है।इसी प्रकार डुमरचूआ कोडार नवाटोला महुली नेमना लीलाडेवा पिण्डारी खम्हरिया महरीकला आदि गाँवों में जंगल से सटे
काश्तकारों ने सैकड़ो एकड़ जमीन को हथिया कर लंबे समय से कब्जा कर खेती बाड़ी कर रहे हैं।इस बाबत वन दरोगा श्यामलाल ने कहा कि यह सब मामला पुराना हो चुका है।जरहा वाले मकान के विषय मे पुराने रेंजर आर के मौर्या ने राजस्व विभाग को नापी और पैमाइस के लिए पत्र भेजा है कहा कि जब नापी में जंगल साबित होगा तब वन विभाग उस पर कब्जा करेगा।
