सोनभद्र। गर्मी जैसे जैसे बढ़ रही है पानी का संकट गहराने लगा। सबसे ज्यादा तकलीफ पीने के पानी को लेकर होती है। राहगीर इस तपती धुप में प्यास लगने पर स्वच्छ, शुद्ध और ठंडे जल के लिए यहां वहां भटकते है। इस गर्मी में शीतल पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नगर में कई स्थानों पर वाटर कूलर लगवाए गए थे।जिन पर सरकार का लाखों रुपए खर्च आया। जिसको लेकर नगर वासियों में ख़ुशी थी। लेकिन कुछ ही समय बाद लोगों का भ्रम दूर हुआ और वाटर कूलर एक-एक कर बंद होने लगे। शिकायत होते पर मरम्मत होती है और फिर बिगड़ जाता है, कही पानी आता तो ठंडा नही। आज स्थिति यह है कि लगभग आधे से ज्यादा वाटर कूलर या तो बंद पड़े हैं या बस किसी तरह चल रहे हैं। इनकी देखरेख करने की बजाय नगर पालिका परिषद इसकी जिम्मेदारी नागरिकों पर ही ठोक देती है। कहीं पानी का लेयर कम होने की बात तो कहीं वाटर कुलर खराब होने की बात या फिर टोटी चोरी होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ दे रही है। आखिर इन वाटर कूलर की रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी है।

Author: Pramod Gupta
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