June 24, 2025 10:24 pm

मिट्टी के बने गिलास कुल्हड़ के इस्तेमाल से प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है

– माटीकला के कारीगरो को मिलेगा निःशुल्क विद्युत चालित कुम्हारी चाक

सोनभद्र/रॉबर्ट्सगंज (विशाल टंडन) जनपद को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए सभी की सहभागिता जरूरी है। प्लास्टिक से बनी हुई वस्तुएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है साथ ही हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करती है। इस कारण उ0प्र0 सरकार द्वारा प्लास्टिक से बनी हुई वस्तुओ को प्रतिबन्धित कर दिया गया है और प्लास्टिक की जगह पर कागज के थैली, मिट्टी के बर्तन आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को देखते हुए लोगों में भी जागरूकता बढ़ रही है जिसके कारण लोग प्लास्टिक की जगह मिट्टी के गिलास, कुल्हड़ आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस कारण माटी कला उद्योग के माध्यम से भी बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। विकास के इस दौर में परंपरागत चाक की जगह पर माटी कला के कारीगर विद्युत चलित चाक का इस्तेमाल कर रहे हैं। मिट्टी से बनी हुई वस्तुएं जैसे- कुल्हण, परई, गिलास, थाली, गगरी आदि को बढावा देनें के उद्देश्य से उoप्रo माटीकला बोर्ड द्वारा मिट्टी की विधा से जुड़े हुए परम्परागत कारीगरों के जीवन स्तर में सुधार एवं उनके आय में वृद्धि के उद्देश्य से जनपद में वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु विद्युत चालित चाक (इलैक्ट्रानिक चाक) के निःशुल्क वितरण हेतु 30 व्यक्तियों का भौतिक लक्ष्य प्राप्त हुआ है। जिसके लिए माटीकला के परम्परागत कारीगर अपना आवेदन upmatikalaboard.in पर ऑनलाइन कर सकते है। आवेदन करने की अन्तिम तिथि 25.05.2025 तक है।

आवेदन पत्र की हार्ड कॉपी जिला ग्रामोद्योग कार्यालय मिशन अस्पताल के पास रावर्ट्सगंज में जमा कर सकते है। ताकि उनके चयन की कार्यवाही कराई जा सके। परंपरागत चाक की अपेक्षा विद्युत चालित चाक से काम करने पर कारीगर कम श्रम एवं समय में ज्यादा उत्पाद बनाते है। माटी कला से बने बर्तनों गिलास कुल्हड़ आदि के इस्तेमाल से इन माटी कला के कारीगरों को रोजगार भी मिलता है साथ ही प्लास्टिक के गिलास इत्यादि का उपयोग न करने से प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है।

Pramod Gupta
Author: Pramod Gupta

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