सोनभद्र/बीएसए सोनभद्र मुकुल आनंद पांडेय ने शासन के आदेश पर गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को बंद करने के लिए शुरू किया गया अभियान भले ही जिले में रफ्तार न पकड़ पाया हो लेकिन सीमावर्ती जनपद सिंगरौली जिले में जिला प्रशासन ने बच्चों के भविष्य के दृष्टिगत अभियान को गंभीरता से लिया है।सिंगरौली कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला के निर्देश पर वहां के 78 विद्यालयों की मान्यता रद्द कर बच्चों के एडमिशन पर रोक लगा दिया गया।लेकिन सोनभद्र के म्योरपुर ब्लॉक में एबीएसए के संरक्षण में चल रहे लगभग 22 गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों पर बीएसए द्वारा कब कारवाई की जाएगी इसकी चर्चा जोरो पर है।ब्लॉक क्षेत्र में परिषदीय विद्यालयों को विगत कई वर्षों से दीमक की तरह चाट कर ताला बंदी की कगार पर पहुंचा चुके तमाम प्राइवेट स्कूलों पर जिले और ब्लॉक के अधिकारी क्यों मेहरबान हैं अभिवावकों के समझ से परे हैं।अभिभावकों का कहना है कि गाँव गली मोहल्ले में दर्जनों ऐसे प्राइवेट विद्यालयों का संचालन कराया जा रहा है जिसकी मान्यता कक्षा 5 से 8 तक है लेकिन पढ़ाई इंटर तक कराई जाती है।बताया जाता है कि प्राइवेट स्कूल संचालक अपने स्कूलों में तीन से पांच हजार रुपए वेतन पर अनट्रेंड युवाओं से इंग्लैंड जैसी पढाई का सब्जबाग दिखा कर इंग्लिश मीडियम पढ़ाई का झांसा देकर अभिभावकों से एडमिशन फीस कंप्यूटर फीस जैसे तमाम नाजायज शुल्क वसूल कर मोटी कमाई की जाती है।म्योरपुर ब्लॉक मुख्यालय के आसपास कई ऐसे विद्यालय संचालित हैं जिसमें सैकड़ों की संख्या में बच्चे पढ़ने जाते हैं लेकिन वहीं के सरकारी स्कूल 10 –20 बच्चों के नामांकन के लिए तरस रहे हैं।सरकारी स्कूलों के चारों तरफ कुकुरमुत्ते की तरह फैल चुके प्राइवेट स्कूलों के चक्रव्यूह से निकल पाना और सरकारी स्कूलों में तेजी से गिरती छात्र संख्या सरकार और शिक्षकों के लिए अस्तित्व बचाने में एक चुनौती बन गया है।बहरहाल देखना यह है कि गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों के खिलाफ उठी आवाज से सरकार का सुरु हुआ यह अभियान आगे कुछ रंग लाता है या फिर बरसाती मेंढक की तरह टर्र टर्र कर रह जाता है।
