रामगढ़ /सोनभद्र (अखिलेश गुप्ता) जिले का अति पिछड़ा ब्लॉक नगवां जहां के 80 फीसदी सामुदायिक सौचालयो में आज भी ताला ही लटकता रहता है जो प्रधानमंत्री के स्वच्छता भारत मशनअभियान को मुंह चिढ़ा रहा है हर महीने केयर टेकर के वेतन भुगतान और शौचालय के साफ सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं जो सरकारी धन के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है फिर भी जिले से लेकर ब्लॉक तक के अधिकारी कुंभकर्णी की निद्रा में सो रहे हैं कोई भी अधिकारी जिले या ब्लॉक से निकलकर गावों का दौरा कर सामुदायिक शौचालयों गांव की साफ सफाई आदि की सुध लेने का जहमत नहीं उठाते है।
ब्लॉक परिसर के एयर कंडीशनर रूम में बैठ कर केवल कागजी खानापूर्ति कर सरकार के जीरो टार्लेंस की धज्जियां उड़ाई जारही हैं।ग्राम पंचायतों के सामुदायिक शौचालय साफ सफाई आदि की निगरानी एडीओ पंचायत की होती है पर नगवां ब्लॉक के एडीओ पंचायत तो बहुत बड़े कलाकार है आजकल उनके अजीबोगरीब कारनामें चर्चा का विषय बना हुआ है। इतने काबिल एडीओ पंचायत है कि जिस ब्लॉक कर्मचारी की शिकायत करो उसे ही जांच अधिकारी नामित कर देते है और उनकी इस फैसले में जिले के कुछ उच्वाधिकारियों की भी सहमति होने की प्रबल संभावना है।
ब्लॉक के हर ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया है और हर ग्राम पंचायत में एक केयर टेकर की भी नियुक्ति की गई है जिसके ऊपर प्रत्येक केयर टेकर को भुगतान हर महीने किया जाता है ये बिना जाने की वहां का शौचालय खुलता भी है या नहीं फिर भी हर महीने आंख बंद कर भुगतान निरंतर जारी है इतने बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार की खबर किसी भी उच्च अधिकारी को नही है नगवा ब्लॉक के अधिकतर गावों में सफाई कर्मचारी कभी जाते ही नहीं है सिर्फ ब्लॉक परिसर में रहकर एडीओ पंचायत के इर्द गिर्द घूमते रहते है सफाई कर्मचारी भी जानते है की हम लोगों के आका की मेहरबानी बनी रही तो कोई कुछ भी नहीं कर सकता है क्योंकि सफाई कर्मियों की तैनाती वेतन सहित सारे अधिकार एडीओ पंचायत को है।
सूत्रों की मानी जाय तो हर सफाई कर्मी एक निश्चित धन राशि ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और इनके संरक्षण कर्ता को हर महीने देते हैं जिनसे उनका वेतन भुगतान आसानी से होता है। सामुदायिक शौचालय का भी लगभग यही हाल है केयर टेकर के छः हजार रुपए वेतन के अलावा जो धन राशि साफ सफाई के लिए आती है उसे भी ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और उनके संरक्षण कर्ता के हिस्से में चली जाती है इस प्रकार से किए जा रहे सरकारी धन के बंदरबांट को किसी भी अधिकारी को भनक तक नहीं लगती ये जनपद के पिछड़े ब्लॉक का दुर्भाग्य कहें या सौभाग्य ।
हर वर्ष सरकार स्वच्छता अभियान के तहत सभी ग्राम पंचायतों को भरपूर धन देती है ताकि गांव की गलियां स्कूल, नालिया और सामुदायिक शौचालय आदि साफ सुथरा रहे और गंदगी से होने वाली गंभीर संक्रामक बीमारियों से ग्रामीणों को बचाया जा सके लेकिन पिछड़े ब्लॉक के पिछड़ेपन का फायदा उठाकर अधिकारी अपनी अपनी जेबें भरने में मस्त है लोगों ने इस ओर जिलाधिकारी सोनभद्र का ध्यान आकृष्ट कराया है नगवां ब्लॉक में हो रहे सरकारी धन के लूट की जांच कराकर दोषियोंक खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है
