बीजपुर(सोनभद्र)शिक्षा क्षेत्र म्योरपुर अंतगत दो वर्ष में सरकारी शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा का नजारा देखना हो तो प्राथमिक विद्यालय बखरीहवा इसका जीता उदाहरण है।सरकार की व्यवस्थाओं और सुविधाओं को लूट खसोट के जरिए साजिश और षडयंत्र के मकड़जाल में फंसा कर विवादित शिक्षा अधिकारी इस तरह की साजिश को क्या अंजाम दे सकते हैं कोई सोच भी नही सकता।गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को संरक्षण देने के मोह में फंसे एबीएसए के लापरवाही का आलम यह है कि प्राथमिक विद्यालय बकरीहवा अब बंद होने के कगार पर हैं।सवाल यह उठने लगा है कि क्या कंपोजिट विद्यालय बीजपुर को भी प्राइवेट स्कूलों को लाभ पहुंचाने के लिए बर्बादी की तरफ जानबुझ कर धकेला जा रहा है।बताया जाता है कि प्राथमिक विद्यालय बखरीहवा में कभी सैकड़ों की संख्या में छात्र थे।लेकिन पिछले कुछ साल में विद्यालय के दो तीन किलोमीटर के आस पास खुले कई गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की वजह से आज इस विद्यालय में अब छात्र संख्या कागजों में महज बीस पच्चीस बची हुई है जिसकी वजह से यह बिद्यालय बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है।एक दर्जन अभिभावकों ने बताया कि बीईओ आज तक प्राथमिक विद्यालय बखरीहवा को स्थाई शिक्षक कभी उपलब्ध नहीं कराए जिसके कारण यह बिद्यालय कभी शिक्षामित्र तो कभी अनुदेशक कभी अटैचमेंट शिक्षकों के सहारे अब तक चलाया जा रहा है।नतीजा यह है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे अगल बगल के प्राइवेट स्कूलों में पलायन कर चुके हैं महज कागजी कोरम के लिए उपस्थिति पंजिका में बच्चों का नाम चल रहा है लेकिन मौके पर बच्चों की संख्या नदारत है।सूत्रों की माने तो प्राथमिक विद्यालय बखरीहवा के बच्चे आस पास के जिस प्राइवेट विद्यालयों में जा रहे हैं उन विद्यालयों की भी मान्यता नहीं है यह सब देखने के बाद भी बीईओ अपनी आँख पर काली पट्टी बांधे तमाशबीन बने हुए हैं।प्राथमिक विद्यालय बखरीहवा को बर्बाद करने के बाद अब कंपोजिट विद्यालय बीजपुर की हालात भी वही हो गयी है। बताया जाता है कि यहां कभी 500 के पार छात्र संख्या वाला कम्पोजिट विद्यालय बीजपुर में एक साल के अंदर छात्र संख्या घट कर 270 के अंदर रह गयी है।गौर करने की बात यह है कि कम्पोजिट बिद्यालय बीजपुर साढ़े तीन महीने से प्रधानाध्यापक विहीन चलाया जा रहा है पिछले तीन महीने से मात्र दो तीन शिक्षक यहाँ पहुंच रहे हैं पढ़ाई लिखाई शून्य है किसी तरह मार्च में वार्षिक परीक्षा तो सम्पन्न करा लिया गया लेकिन शिक्षकों के आभाव में परीक्षा की कॉपियां बगैर जांचे एक कोने में फेंकी पड़ी हैं।नया शैक्षणिक सत्र चालू होने के बाद भी नए बच्चों का नामांकन शून्य है। प्रधानाध्यापक विहीन यह विद्यालय न तो बच्चों को रिजल्ट दे रहा है और न ही टीसी जिस से अभिभावक और बच्चे दर बदर भटक रहे हैं और प्राइवेट स्कूलों में पलायन को मजबूर हैं।बीईओ विश्वजीत कुमार ने कहा कि ब्यवस्था पटरी पर लायी जाएगी।
