सोनभद्र (एडिटर प्रमोद गुप्ता की ज़ीरो ग्राउंड रिपोर्ट) बिल्ली मारकुंडी खनन बेल्ट की हकीकत यह है कि वास्तव में यह पत्थर खदाने खनन योग्य ही नहीं है। इसके लिए पूर्वर्ती जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने शासन को लिखित रूप में आगाह किया था। इसके बाद भी शासन ने बंद पड़ी खदान की ई टेंडरिंग कर दी। जबकि ऐसा करना सरासर गलत था। जो खदानें पहले ही बेतरतीब अवैध खनन के चलते पाताल लोक बन चुकी हैं, उन्हें पुनः खनन के लिये ई टेंडरिंग करना कहीं से न्यायोचित नहीं था। लेकिन इसके बाद भी कुछ शर्तों के साथ शासन ने ई टेंडरिंग के ज़रिए खदान आवंटित कर दी।
इन्हीं में से बिल्ली मारकुंडी में एक खदान है श्री महादेव इंटरप्राइजेज। जिसके कर्ताधर्ता अरुण कुमार सिंह एवं अन्य हैं। जिनपर पहले भी अवैध खनन के आरोप जांच में सही पाये गये थे। जिलाधिकारी सोनभद्र खनिज अनुभाग की जानिब से पेनाल्टी लगाकर खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी खनन कर्ताओं का हौसला इतना बुलन्द है कि पुनः बेधड़क अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। बिल्ली मारकुंडी में पत्थर की खदान श्री महादेव इंटरप्राइजेज के नाम से संचालित हो रही है। जिसकी आराजी संख्या 7536 ग मि. एवं रकबा 4.90 हेक्टेयर है। उक्त खदान में जांच के दौरान अवैध खनन होना पाया गया था। जिसपर दिनांक 12 जून 2023 को नोटिस जारी कर 2,75,000 धनराशि आरोपित किया गया था। इसके बाद भी अवैध खनन बदस्तूर जारी रहा। जिसपर दिनांक 17 जुलाई 2023 को 1,46,44,628 रुपये की धनराशि आरोपित की गई। मौके से जांच में अवैध खनन की मात्रा 18,859.50 घन मीटर पाया गया। इतना सब कुछ होने के बाद भी खनन कर्ता बेलगाम अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं। खदान में अवैध खनन के खेल को देखकर ऐसा आभास होता है कि जिम्मेदार मोहकमा भी जांच करते करते थक गया। खदान में मानक से ज़्यादा विस्फोटक का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे व्यापक पैमाने पर पर्यावरणीय छति हो रही है। वहीं मौके पर देखने से साफ ज़ाहिर हो रहा कि खनिज नियमावलियों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। लीज एरिया से बाहर जाकर व्यापक पैमाने पर अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है।
साथ ही मानक के विपरीत खदान में खनन को अंजाम दिया जा रहा है। वहीं सभी मज़दूरों को सुरक्षा उपकरण भी मुहैया नहीं कराया गया है। नियम विपरीत खनन की वजह से कभी भी खदान में हादसा पेश आ सकता है। पहले भी बिल्ली मारकुंडी की खदानों में हादसा हो चुका है। बेतरतीब खनन के चलते बराबर पत्थर खदानों में हादसा होते रहते हैं। जिसमें तमाम मज़लूम मज़दूरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। लेकिन इसके बाद भी खनन कर्ता अपने कुकृत्य से बाज़ नहीं आते। वादी ए कैमूर की यह पहाड़ियां कभी हरि भरी वादियां थी। आज बंजर पाताल में तब्दील हो चुकी हैं। जबकि खदानों की निगरानी के लिए जिले में खनिज विभाग है। जिसमें खनिज अधिकारी एवं सर्वेयर सहित अन्य स्टाफ हैं। जिनकी निगरानी में खदानों में खनन कार्य संपादित होते हैं। इसके बाद भी दिन रात नियम को ताक पर रखकर अवैध खनन किया जा रहा है। नियमानुसार खनन की ज़िम्मेदारी लेखपाल से लेकर एसडीएम तक को है। इसके बाद भी आखिर कैसे बेतरतीब अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। वहीं पत्थर खदानों में नियमानुसार कार्य की निगरानी डीजीएमएस के द्वारा भी की जाती है। समय समय पर डीजीएमएस के द्वारा इन खदानों पर रोक भी लगाई जाती है। रोक की अवधि में खनन कार्य प्रतिबंधित कर दिए जाते हैं। लेकिन इसमें भी खेल किया जाता है। सुधारात्मक कार्य की छूट मिल जाती है। जिसकी आड़ में जमकर खनन कार्य को अंजाम दिया जाता है। इस तरह से व्यापक पैमाने पर अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी खनन माफियाओं पर कारगर करवाई अमल में नहीं लाई जाती। जिससे उनके हौसले इस कदर बुलन्द होते हैं कि वह बार बार अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं। ज़्यादा दबाव पड़ने पर सम्बंधित मोहकमा जांचकर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगा देता है। जिसे यह खनन माफिया खुशी खुशी अदा कर फिर से अवैध खनन के खेल में मशगूल हो जाते हैं। सूबे के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अवैध खनन करने वालों को खनन माफिया की संज्ञा से विभूषित किया था। इनके इस आपराधिक कृत्य पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यालय स्तर पर टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है। अब यह टॉस्क फोर्स विभिन्न स्रोतों से अवैध खनन के बारे में जानकारी हासिल कर खनन माफियाओं की रीढ़ तोड़ने का कार्य करेगी। मुख्यमंत्री की निगरानी में मुख्यालय स्तर पर गठित टास्क फोर्स प्रमुख रूप से मीडिया की सुर्खियां बनने वाली अवैध खनन के खबरों को प्रमुखता से लेकर जांच करेंगी। मीडिया में आने वाली अवैध खनन की खबरें अब नक्कारखाने की तूती नहीं साबित होंगी। वरन इन खबरों पर कारगर क़दम उठाया जाएगा।
अब देखना यह है कि बेलगाम घोड़े की तरह सरपट दौड़ रहे अवैध खनन कर्ताओं पर सिर्फ पेनाल्टी लगाकर इति सिद्धम कर दिया जाएगा, या फिर इनके खिलाफ मुकदमा क़ायम कर इन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। एक बात साफ हो गई कि संघठित अपराध कारित करने वाले खनन माफिया करोड़ों रुपए पेनाल्टी भर कर बरी हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि मुकदमा क़ायम कर उन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा। जबतक खनन माफियाओं को उनके संज्ञेयअपराध के लिए सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाएगा तबतक अवैध खनन नहीं रुक सकता। समय की शिला पर खड़ी जनता सोंच रही है कि यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिनके हाथों में खनन विभाग की लगाम है, उसकी नकेल कैसे कसेंगे।
Author: Pramod Gupta
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