October 15, 2025 7:42 am

कुम्भ महापर्व में डूबकी लगाने से अनेक जन्म के पापो का नाश होता है- आचार्य विनय कुमार शुक्ल

सोनभद्र। कुम्भ महापर्व का प्रमाण वेदों से भी प्राप्त होता है। यह कुम्भ महापर्व प्राचीन काल से ही आयोजित होता आ रहा है। कुम्भ महापर्व अद्भुत एवं अतुलनीय है। विश्व के किसी भी धर्म सम्प्रदाय में इसका कोई जोड़ ही नहीं है। सम्पूर्ण भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व से लोग इस महापर्व में गंगा जमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम ‘त्रिवेणी’ के अमृतोमय जल में डूबकी लगाने के लिए जीस भाव एवं श्रद्धा के साथ आते हैं वह वर्णनातीत एवं अकल्पनीय है। प्रयाग में लगने वाले कुम्भ महापर्व के लिए शर्तें एवं परिस्थितियाँ तथा प्रमाण यह है कि,1. बृहस्पति मेष राशि में अथवा वृष राशि पर होना चाहिए,2. सूर्य मकर राशि का हो तथा चंद्रमा भी मकर राशि में आ जाये,3. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बाहर वर्ष का अन्तराल होना आवश्यक है। इसलिए मेष राशि एवं वृष राशि दोनों ही राशियों में से किसी भी राशि में बृहस्पति आ जाये तो माघ कृष्ण अमावस्या को कुम्भ महापर्व का मुख्य स्नान होता है। सन्त गण पूर्ण कुम्भ समय पर बारह वर्ष के बाद आता है इस प्रकार संवत 2081 सन 2025 में 29 जनवरी बुधवार को पूर्ण महाकुम्भ पर्व का मुख्य स्नान पर्व अपनी भव्यता विशालता एवं श्रद्धा भाव में सराबोर होकर सम्पन्न होगा वस्तुतः यह सन्तो महात्माओं के सम्मिलन का पर्व है इसको वे ही अपनी-अपनी परम्पराओं के अनुसार शाही स्नान के रूप में सम्पन्न करते हैं। उसके पश्चात ही जन सामान्य का स्नान प्रारम्भ होता है इस पर्व के प्रवर्तक आदि जगतगुरु शंकराचार्य को भी माना जाता है। प्रयाग महाकुम्भ पर्व के तीन प्रमुख स्नान निम्न तिथियों पर होंगे -प्रथम स्नान मकर संक्रांति 14 जनवरी मंगलवार 2025 ,द्वितीय स्नान (मुख्य स्नान) 29 जनवरी बुधवार 2025, तृतीय स्नान माघ शुक्ल पक्ष पंचमी (बसंत पंचमी) 3 फरवरी 2025 इसके पश्चात भी महाशिवरात्रि तक इसका स्नान चलता रहता है! हर हर गंगे!

Pramod Gupta
Author: Pramod Gupta

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