सोनभद्र (समर सैम) जनपद के खनन बेल्ट में एनजीटी की टीम आते ही मरघट सा स्यापा छा गया था। करतूतों को छिपाने के लिए अघोरी खण्ड में संचालित मोरंग की खदानें बंद हो गई थी। सभी मशीनरीज़ को छुपा दिया गया था। लेकिन घटना स्थल चीख चीख कर अवैध खनन की तस्दीक़ कर रहा था। एनजीटी की टीम रिपोर्ट तैयार कर जिले से रुख़सत हो गई। उसके जाते ही नियम को खूंटी पर टांग कर बेख़ौफ़ अवैध खनन किया जाने लगा है। दिन रात नदी का सीना चाक किया जा रहा है। ज़िम्मेदार विभाग खामोश तमाशाई बना हुआ है। ऐसे में मनबढ़ खनन व्यवसाई सोन नदी के प्राकृतिक स्वरूप से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस पर तमाम नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नाराज़गी व्यक्त करते हुए आलाधिकारियों से गुहार लगायी है। एनजीटी टीम के वापस जाते ही सोन नदी के अगोरी, बरहमोरी में प्रतिबंधित मशीनों द्वारा अवैध खनन जोरो पर हो रहा है।
मुख्यमंत्री को भेजे शिकायती पत्र में जिले के जुझारू समाजसेवी एवं पर्यावरणविद डॉक्टर भागीरथी सिंह मौर्या ने यह गंभीर इल्ज़ाम लगाया है। जनपद के ओबरा तहसील अंतर्गत सोन नदी के ग्राम अगोरी, बरहमोरी में हो रहे अवैध बालू खनन को लेकर जन अधिकार पार्टी के निवर्तमान मण्डल अध्यक्ष भागीरथी सिंह मौर्य ने दिनांक 9 दिसम्बर 2024 को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को शिकायती पत्र भेज अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग की है। साथ ही शिकायती पत्र की प्रतिलिपि भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशक, उत्तर प्रदेश सरकार, मण्डलायुक्त विन्धयाचल मण्डल, जिलाधिकारी सोनभद्र एवं खनिज अधिकारी सोनभद्र को भी भेजा।
जन अधिकार पार्टी के निवर्तमान मण्डल अध्यक्ष एवं जिले के जानेमाने पर्यावरण प्रेमी भागीरथी सिंह मौर्य ने बताया कि जनपद के ओबरा तहसील अंतर्गत ग्राम अगोरी, बरहमोरी में संचालित बालू साइडों पर पट्टाधारकों द्वारा निर्धारित क्षेत्रफल से काफी आगे बढ़कर सोन नदी में बेखौफ अवैध खनन किया जा रहा है। इस पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर जन अधिकार पार्टी ने दिनांक 28 नवम्बर 2024 को जिला खनन अधिकारी सोनभद्र को लिखित शिकायती पत्र सौप कर कार्यवाही की मांग किया था। जिसकी खबर विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुई थी। साथ ही अन्य लोगो ने भी शिकायते की थी। जिसको संज्ञान में लेकर एनजीटी की टीम का जनपद में आना हुआ था। जिससे बालू खननकर्ताओं व पट्टाधारकों में इस कदर हड़कंप मच गया की प्रतिबंधित मशीने सोन नदी से बाहर कर दी गयी। परन्तु एनजीटी टीम के वापस जाते ही प्रतिबंधित मशीने सोन नदी में प्रवेश कर गयी।
खननकर्ताओं व लीजधारकों द्वारा बेखौफ अवैध खनन फिर से बेधड़क शुरू कर दिया गया। जिससे यह प्रतीत होता है कि जिला क्वैरी ( खनन ) अधिकारी द्वारा बालू लीज धारकों व पट्टा धारकों को सोन नदी में अवैध खनन के लिए खुली छूट दे दी गयी है।
सोन नदी की जलधारा को बांध पुल बनाकर लिफ्टिंग मशीनों (नाव मशीनों) व पोकलेन मशीनों द्वारा बालू का खनन किया जा रहा है। जबकि एनजीटी एवं उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशानुसार बालू खनन के लिए किसी भी दशा में नदी की जलधारा को मोड़ा एवं प्रभावित नहीं किया जा सकता है। साथ ही लिफ्टिंग मशीन (नाव मशीन) व पोकलेन मशीनों का प्रयोग भी प्रतिबंधित है। इसके बावजूद भी बालू खननकर्ताओ द्वारा नदी की जलधारा को बांधकर लिफ्टिंग मशीन (नाव मशीन) व पोकलेन मशीन के द्वारा बालू खनन का कार्य किया जा रहा है। जिससे नदी के मूल स्वरूप तथा अस्तित्व पर गंभीर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रतिदिन घडियाल,मगरमच्छ और कछुआ सहित असंख्य विविध जलीय जीव जंतुओं का जीवन समाप्त हो रहा है। इस जलीय जैव विविधता से छेड़छाड़ का मतलब है सीधे पर्यावरण के लिए खतरा उतपन्न करना। नियम की धज्जियां उड़ाते खनन कर्ताओं की अज्ञानता का कर्ज सूद सहित मानव सभ्यता को उठाना पड़ेगा। समय समय पर जिसका असर मानव जीवन पर भी पड़ता रहता है। यही नहीं पर्यावरण प्रदूषण के मामले में जनपद सोनभद्र क्रिटिकल ज़ोन में है। लेकिन इसके बाद भी इतनी बड़ी घटना को दिन रात अंजाम दिया जा रहा है। समाजसेवी एवं पर्यावरणविद डॉक्टर भागीरथी सिंह मौर्य ने कहा कि बालू लीजधारक/ पट्टाधारकों द्वारा लीज एरिया से बढ़कर अवैध खनन करने एवं नदी की जलधारा को अवरुद्ध करके बालू का खनन करने पर तत्काल रोक लगाये जाने, लिफ्टिंग मशीनो (नाव मशीन) द्वारा किए जा रहे बालू खनन जिस पर तत्काल रोक लगाते हुए मजदूरों द्वारा कराये जाने, नदी की जलधारा को मोड़कर एवं पुल बनाकर सेक्शन मशीनों ( नाव मशीन ) द्वारा नदी की जलधारा से बालू निकाला जा रहा है जिस पर तत्काल रोक लगाये जाने, बालू लीज स्थल पर रेट बोर्ड लगाये जाने, बालू लीज स्थल के प्रत्येक कोने पर सीमा स्तंभ व लीज होल्डर का बोर्ड लगाए जाने व बोर्ड पर लीज होल्डर का पूरा नाम, पता, मोबाइल नंबर तथा रकबा लिखे जाने की मांग किया है। जिससे सोन नदी का मूल स्वरूप एवं जलीय जीव जंतुओं का जीवन बच सके एवं पर्यावरण संतुलन बना रहे। पूर्वांचल के जुझारू एवं संघर्षशील समाजसेवी एवं लोकप्रिय पर्यावरण हितैषी डॉक्टर भागीरथी सिंह मौर्य ने कहा कि यदि मेरी शिकायत पर रोक नहीं लगी तो मैं संवैधानिक मार्ग पर चलते हुए हर वह क़दम उठाने के लिए विवश होऊंगा, जिससे पौराणिक एवं पवित्र सोन नद के अस्तित्व को बचाया जा सकता है।
Author: Pramod Gupta
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