November 24, 2024 8:01 am

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भाजपा के छह मंत्री भी मिलकर छह सौ भीड़ नहीं जुटा पाए

सोनभद्र (समर सैम) भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती पर जनपद में भारतीय जनता पार्टी की जानिब से जनजाति गौरव सम्मान दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में तक़रीबन छह मंत्रीयों ने शिरकत किया। इसके बाद भी कार्यक्रम स्थल से आदिवासियों ने दूरी बना कर रखा। खाली कुर्सियां मंत्रियों के भाषण ध्यान से सुनती नज़र आईं। जनसंसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पटेल ने कहा आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा हम सबके भी भगवान हैं। समाजकल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण ने आदिवासियों के हित में योजनाओं का बखान किया। वन राज्य मंत्री डॉक्टर अरुण सक्सेना ने कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए भारतीय जनता पार्टी सरकार लगातार कार्य कर रही है। आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है। वहीं मंत्री अरुण सक्सेना ने आदिवासियों को फलदार दरख़्त के बीज और पौधे भी वितरित किये। स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रविन्द्र जायसवाल, राज्य मंत्री संजीव सिंह गोंड, अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष जीत सिंह एवं प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय सिंह ने भी मंच से अपने उदगार व्यक्त किए। इतना तामझाम होने के बाद भी ऐसा लगा कि यह सभा महज रस्म अदायगी के सिवा कुछ नहीं है। भाजपा के लिए आदिवासी समाज को सहेजने की डगर बहुत कठिन प्रतीत हो रही है।

जनपद में आदिवासी गौरव सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। दिलचस्प बात यह है कि इस आयोजन में भाजपा के छह मंत्रियों ने शिरकत किया। लेकिन इसके बाद भी छह छह मंत्री मिलकर भी छह सौ भीड़ जुटाने में नाकामयाब रहे। जब मन्त्रियों का आगमन हुआ तो सोनभद्र के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में एक एक मंत्री के पीछे दो दो सौ कार्यकर्ता नज़र आ रहे थे। लेकिन जहां आदिवासी गौरव सम्मान का आयोजन किया गया वहां खाली कुर्सियां मंत्रियों को मुहं चिढाती हुई नजर आ रही थी। जबकि जिले से ही आदिवासी नेता ओबरा विधायक संजीव सिंह गोंड को दूसरी बार योगी मंत्री मंडल में मंत्री बनाया गया है। इसके बाद भी आदिवासी जिला सोनभद्र में आदिवासी गौरव सम्मान समाहरोह की ऐसी दशा। आदिवासियों के शिरकत न करने से तरह तरह की बाते गाँव गिराव से लेकर चौक चौराहे पर चर्चा ए आम है। जनपद के आदिवासी बाहुल्य जिला है। जहां आदिवासियों के बीच भाजपा की कमज़ोर होती पकड़ बहुत कुछ बयाँ कर रही है। इसी का नतीजा है कि सपा गठबंधन के उम्मीदवार छोटे लाल खरवार ने लोकसभा चुनाव बहुत आसानी से जीत लिया। छोटे लाल खरवार ने सांसद पकौड़ी लाल कोल की बहू छानबे विधानसभा सीट से विधायक रिंकी कोल को बहूत ही आसानी से शिकस्त देकर भाजपा के किले को ध्वस्त कर दिया। वहीं भाजपा के लोकप्रिय प्रचारक को भी दुद्धी विधानसभा सीट पर हार का स्वाद चखना पड़ा था। आदिवासी बाहुल्य दुद्धी विधानसभा सीट पर आरएसएस के तमाम प्रचारक एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं का हुजूम भी विजय सिंह गोंड को विजय रथ पर सवार होने से रोक नहीं सका। मंत्रियों की रैली में पसरा सन्नाटा इस बात की तस्दीक़ कर रहा है कि आदिवासियों की बीच भाजपा की पकड़ कमज़ोर हो चुकी है। मुख्यालय पर मंत्रियों के इर्द गिर्द अपने लोभ के लिए लगे लोगों ने भी कार्यक्रम स्थल पर जाना मुनासिब नहीं समझा। कार्यक्रम स्थल पर मुश्किल से दो तीन सौ लोगों का ही जमघटा नज़र आया। वहीं अधिकांश कुर्सियां आगंतुकों के इंतेज़ार में व्याकुल नज़र आयीं। कुर्सियों से ज़्यादा बेचैनी उपस्थित मन्त्रियों के दिलोदिमाग में थी। खाली कुर्सियां देखकर मंत्रियों के चेहरों पर हवाइयाँ उड़ रही थी। पूर्व विधायक हरि राम चेरो हर साल आदिवासियों का कार्यक्रम संचालित करते हैं। जिसमें हज़ारों आदिवासी शिरक़त करते हैं। यह आदिवासियों का जनपद सोनभद्र में होने वाला सबसे बड़ा और भव्य कार्यक्रम होता है। जिसमें पड़ोसी राज्यों के आदिवासी भी शिरकत करते हैं। जनपद चार राज्यों का प्रवेश द्वार है। जनपद के बार्डर का एक बड़ा इलाका आदिवासी बाहुल्य है। इसी कारण सोनभद्र के आदिवासियों के बीच होने वाली उथल पुथल का असर चार राज्यों की दर्जनों विधानसभा सीटों पर भी पड़ता है। जनपद के दुद्धी विधानसभा क्षेत्र में आदिवासियों के बीच आरएसएस का एक स्कूल भी संचालित हो रहा है। जिसमें आरएसएस से लेकर भाजपा के क़द्दावर नेताओं के साथ साथ राष्ट्रपति और राज्यपालों की आमद भी समय समय पर होती रहती है। इतनी मजबूत फील्डिंग सजाने के बाद भी जनपद में भाजपा का हाल बेहाल हो रहा है। इसका प्रमुख कारण भाजपा सरकार में आदिवासियों पर अत्याचार काफी बढें हैं। यह निचले स्तर पर व्यापक पैमाने पर हो रहा है। उन्हीं की ज़मीन से उन्हें बेदखल किया जा रहा है। वन विभाग आदिवासियों पर मुसलसल कुछ न कुछ इल्ज़ाम लगाकर प्रताड़ित करता रहता है। लगातार आदिवासियों को उनकी ज़मीनों से उन्हें बेदखल किया जा रहा है। जनपद में पचास वर्ष पहले दो प्रतिशत ज़मीन भी गैर आदिवासियों के पास नहीं थी। प्रशासन से मिलीभगत करके गैर आदिवासियों ने 50 वर्षों में 40 प्रतिशत भूमि पर कब्ज़ा कर लिया। वहीं आदिवासियों के पास मुश्किल से पांच प्रतिशत से भी कम भूमि बची है। पहले कांग्रेस सरकार ने कल कारखानों के नाम पर आदिवासियों के सैकड़ों गावों को उजाड़ दिया। उनकी ज़मीने अधिग्रहित कर ली गई। इसके साथ ही निचले स्तर पर भी आज तक आदिवासियों का बदस्तूर शोषण किया जा रहा है। यही सब प्रमुख कारण है कि आदिवासियों का सियासत से मोहभंग होता जा रहा है। मन्त्रियों के जमघटा के बाद भी आदिवासियों का न आना इस बात का भी संकेत दे रहा है कि कार्यकर्ता और पदाधिकारी उदासीन हो चुके हैं। जनपद सोनभद्र की भाजपा यूनिट में आखिर कुछ तो चल रहा है। जिसके चलते आदिवासी गौरव सम्मान समारोह फेलाप शो साबित हुआ। जबकि आदिवासियों के बीच प्रचार किया गया था कि उन्हें भूमि पट्टा और पक्का मकान मिलेगा। ऐसे लोकलुभावन वादे भी कार्यक्रम में भीड़ नहीं खींच पाई। इस कार्यक्रम को देखते हुए भाजपा के नीति नियंताओं को नए सिरे से विचार मंथन करना होगा, वरना गयी भैंस पानी में।

Pramod Gupta
Author: Pramod Gupta

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