सोनभद्र। नगर के मध्य स्थित बच्चों के लिए बना बाल उद्यान बदहाली का शिकार हो गया है। बच्चे तो क्या अब कोई भी इसकी तरफ देखना तक पसंद नहीं करता। सन 1991 को तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष जितेंद्र सिंह के द्वारा बाल उद्यान का सुंदरीकरण कराया गया। तरह- तरह के फूल पौधे लगाए गए फौवारा, लाइटिंग इस पार्क की शोभा बढ़ाते थे। आसपास के बच्चे सुबह- शाम खेलने जाते। युवा व बुजुर्ग व्यायाम, योग आदि के लिए इसी पार्क को पसंद करते थे। 11 अक्टूबर 1991 को सुंदरीकरण के बाद पार्क का उद्घाटन कराया गया। आज यह पार्क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जहां हम विकास का ख्वाब देखते हैं, बड़े शहरों की तरह अपने नगर में भी हर सुविधा चाहते हैं। वहाँ अपने जमाने के सबसे सुंदर पार्क को देखकर लगता है कि आज से अच्छा तो वही समय था। बड़ी विडंबना तो यह है की नगर पालिका परिषद के पास होते हुए भी किसी अधिकारी या पालिका अध्यक्ष की नजर नहीं पड़ती बस इसे कूड़े का ढेर व नगर पालिका द्वारा फेके गए सामानों का गैराज बना दिया गया है। लगभग 33 साल गुजारने को हैं लेकिन इस स्थान की किसी को कोई परवाह नहीं है। आखिर बच्चे खेलने के लिए जाए तो कहां जाएं।
दिसंबर के महीने में आरटीएस क्लब मैदान में होने वाले श्री रामचरितमानस पाठ में दूरदराज से लोग आते हैं। महिलाएं बच्चे जब इस स्थान पर आते हैं तो पार्क में जरूर जाते हैं लेकिन पार्क की स्थिति को देखकर हर कोई अपनी निगाहें फेर लेता है। टूटा हुआ गेट, न बैठने की जगह, ना खेलने के लिए झूला पार्क नहीं यह नगर पालिका का स्टोर रूम बन गया है। वर्तमान मे नगर पालिका द्वारा विभिन्न स्थानों पर ओपन जिम बनाये गए जहाँ कई तरह के झूले लगाए गये लेकिन जो पुराने उद्यान है उसकी तरफ से नगर पालिका ने अपनी नजरें फेर ली है। आखिर इस बाल उद्यान की तरफ किसी का ध्यान क्यों नही जाता, क्यों नगर पालिका इस पार्क को पार्क की जगह कबाड़ मैदान बना रही है।

Author: Pramod Gupta
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