– स्वतः रोजगार योजना के तहत मिले ऋण से खुद के साथ दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करा रही शीतल
सोनभद्र/रॉबर्ट्सगंज (विशाल टंडन) खुद पर विश्वास और मजबूत इच्छा शक्ति से भरी शीतल कुमार रॉबर्ट्सगंज क्षेत्र के लोढ़ी निवासी है। बनारस से बीएड की, शीतल शुरू से ही अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। शीतल का पर्यावरण के प्रति लगाव है। घर मे प्लास्टिक के गमले मे पौधे लगाए थे। प्लास्टिक के गमले साल दो साल मे टूट जाते जिसे फेक दिया जाता। यही से उन्हें विचार आया की क्यों ना कुछ ऐसा करें जिससे मेरे साथ साथ अन्य को भी रोजगार मिले और पर्यावरण को भी बचाया जा सके। शीतल के इस काम मे उनके परिवार का पूरा सहयोग मिला। पति कुमार ने ग्लास फाइबर से बने उत्पाद के बारे मे बताया। इससे बने उत्पाद मजबूत और हल्के होते है साथ ही विभिन्न आकारों में बनाया जा सकता है। प्लास्टिक की तुलना में अधिक टिकाऊ होता है। शीतल ने कम लागत से ग्लास फाइबर से गमले बनाने का काम शुरू किया।
प्लास्टिक की अपेक्षा थोड़ा महंगा होने के कारण शुरू मे थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन मजबूत एवं टिकाऊ होने के कारण धीरे धीरे इनकी डिमांड बढ़ने लगी। काम बढ़ने पर आर्थिक आवश्यकता बढ़ने लगी। सरकारी मदद की उम्मीद से शीतल ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन विभाग से सम्पर्क किया। जहाँ समूह के अंतर्गत उन्हें रु नब्बे हजार का लोन प्राप्त हुआ। इसके बाद से इन्होने ग्लास फाइबर से अन्य उत्पाद बनवाना शुरू किया। आज इनके कारखाने मे कूलर बॉडी, फिश टैंक, वाटर टैंक, डस्टविन, गमले, इत्यादि बनते है। इस मटेरियल से बने उत्पाद बीस से तीस साल तक चलते है। और रिपेयर भी हो जाते है। अपने साथ साथ शीतल तीन से चार अन्य को भी रोजगार उपलब्ध करा रही है। शीतल का कहना है यदि सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन मिले तों इस काम को और बढ़ाया जा सकता है। जिससे समूह की महिलाओ को जोड़ कर उन्हें रोजगार उपलब्ध करा सकते है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबंधक एमजी रवि ने बताया की स्वतः रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ट्रेनिंग दिलाया जाता है एवं उन्हें ऋण उपलब्ध कराया जाता है। जिससे वे स्वयं का कोई रोजगार कर खुद को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकती है।

Author: Pramod Gupta
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