सोनभद्र। जनपद का दुद्धी क्षेत्र इन दिनों गुस्से और आक्रोश से भरा है। एक माँ और उसके नवजात की दर्दनाक मौत ने लोगों के दिलों को झकझोर दिया है। बताया जा रहा है कि देव हॉस्पिटल, दुद्धी बिना उचित पंजीकरण और संसाधनों के संचालन कर रहा था, फिर भी प्रशासन और सीएमओ कार्यालय ने इस पर कभी कार्रवाई नहीं की। यह सवाल केवल एक अस्पताल की लापरवाही का नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की नाकामी और भ्रष्टाचार की जड़ में बैठे अधिकारियों की जिम्मेदारी का है। सिर्फ बार बार शिकायत मिलने के दबाव में प्राइवेट हॉस्पिटल को सील कर देना ही विकल्प नहीं है। अगर कठोर और उचित कारवाई विभाग की जानिब से किया गया होता तो आज जच्चा बच्चा की जान नहीं जाती। लेकिन विभाग हेड़ा बनके पेड़ा खाने में ही मदमस्त है। स्थानीय सूत्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, जनपद सोनभद्र में दर्जनों नर्सिंग होम और प्राइवेट हॉस्पिटल ऐसे हैं जो बिना वैध अनुमति के चल रहे हैं। इन संस्थानों से हर महीने सीएमओ कार्यालय में तथाकथित “महीना वसूली” की जाती है। इस अवैध लेनदेन की वजह से प्रशासन की आंखों पर पर्दा पड़ा रहता है, और आम जनता की जान खतरे में रहती है। देव हॉस्पिटल की घटना उसी भ्रष्ट नेटवर्क का परिणाम है, जिसने स्वास्थ्य को कारोबार बना दिया है। वास्तविकता यह है कि सोनभद्र जैसे भौगोलिक और पिछड़े जनपद में सरकारी अस्पतालों की कमी के कारण जनता मजबूरी में निजी नर्सिंग होम्स पर निर्भर है। लेकिन जब इन्हीं अस्पतालों में जान बचाने की बजाय मौत का कारोबार चलने लगे, तो यह शासन की विफलता की पराकाष्ठा है। अब वक्त है कि शासन इस पूरे प्रकरण पर कड़ा रुख अपनाए। सीएमओ कार्यालय में बैठी भ्रष्ट लॉबी की जांच विजिलेंस से कराई जाए, और सभी प्राइवेट हॉस्पिटलों का सत्यापन दोबारा किया जाए। जिन संस्थानों ने बिना अनुमति या गैर-योग्य स्टाफ के साथ इलाज शुरू किया है, उन्हें तुरंत सील किया जाए। एक माँ और नवजात की मौत सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि उस पूरे सिस्टम का शर्मनाक सबूत है जिसने रिश्वत और ढिलाई से स्वास्थ्य सेवा को मज़ाक बना दिया है। अगर अब भी शासन ने कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले दिनों में यह व्यवस्था और निर्दयी, और जनता और असुरक्षित होती जाएगी।
Author: Pramod Gupta
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