सोनभद्र। एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सचिव राघवेंद्र नारायण ने जिले के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर किसानों की समस्याओं का जायजा लिया और लौटने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों से हर बार खरीफ और रबी की बुवाई के दौरान डाई और यूरिया की भारी किल्लत किसानों को झेलनी पड़ रही है। राघवेंद्र नारायण ने कहा कि जैसे ही धान या गेहूं की बुवाई का समय आता है, खाद समितियों और प्राइवेट दुकानों से यूरिया और डाई गायब हो जाते हैं। सोसाइटी सचिवों के मोबाइल फोन तक नॉट रीचेबल हो जाते हैं, और खाद गोदामों से ज्यादा जमाखोरों के अड्डों पर दिखाई देने लगती है। उन्होंने आरोप लगाया कि रात के अंधेरे में खाद रसूखदारों और चहेतों तक पहुंचा दी जाती है, जबकि आम किसान खुले बाजार में 267 रुपये की यूरिया को 400 रुपये में और 1350 रुपये की डाई को 1600 से 1700 रुपये में खरीदने को मजबूर है। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को खाद की एक बोरी लेने के लिए जबरदस्ती जिंक, सल्फर और अन्य अनावश्यक सामग्री खरीदनी पड़ती है, तब जाकर कहीं खाद मिलती है। जबकि इस समय धान की रोपाई का पिक पीरियड चल रहा है और खेतों में यूरिया और डाई की सख्त जरूरत है। खाद न मिलने से फसल की उपज पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे किसान और अधिक आर्थिक संकट में आ जाएंगे। राघवेंद्र नारायण ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार किसानों को खाद नहीं दे पा रही है और “श्री अन्न” व मोटा अनाज उगाने की बातें कर रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “सरकार को तय करना चाहिए कि उसे किसानों की आय दोगुनी करनी है या फिर दलालों और बिचौलियों की। भाजपा खाद की कालाबाज़ारी करवाकर किसानों की आय दोगुनी करना चाहती है, जो पूरी तरह हास्यास्पद और झूठा दावा है।” उन्होंने कहा कि मौजूदा नीतियां पूरी तरह से किसान विरोधी हैं और भाजपा की सरकार कभी भी इस जन्म में किसानों की आय दोगुनी नहीं कर सकती। सरकार से की त्वरित कार्रवाई की मांग राघवेंद्र नारायण ने प्रदेश की योगी सरकार से अपील की कि खरीफ की फसल को ध्यान में रखते हुए प्रदेश भर में खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु कड़े दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही सोनभद्र के जिलाधिकारी और जिला कृषि अधिकारी से मांग की कि जमाखोरों के खिलाफ तत्काल छापेमारी कर कानूनी कार्रवाई की जाए और किसानों को उचित दामों पर खाद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने अंत में कहा कि, “किसान न किसी दल का है, न किसी एजेंडे का। किसान की याद नेताओं को केवल वोट मांगते समय आती है, लेकिन जरूरत के समय वह खुद को अकेला पाता है।”

Author: Pramod Gupta
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